Tuesday, November 16, 2010

एक अनसुलझा रहस्य

मेरी जिंदगी में कई बार ऐसा हो चुका हैं. जब कुछ सपने अनायास ही हकीकत में बदल गए. ऐसा क्यों हुआ मैं नहीं जानता, लेकिन ऐसा हुआ है, कई बार हुआ है.

बात करीब दस साल पुरानी है, तब मैं कई दिनों से एक ही स्वप्न बार-बार देख रहा था. सपने में मैं देखता था कि मेरा सिर मुंडा हुआ है. मेरे भाईयों का भी सिर मुंडा हुआ है और आसपास लोगों की भीड़ मौजूद है. सब कोई हमें ही देख रहे हैं. तब मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं ये सपना बार-बार क्यों देख रहा हूं. लेकिन जल्द ही हकीकत भी सामने आ गई. मेरे पिताजी का अनायास ही देहांत हो गया. और जब श्राद्ध संपन्न हुआ तो पता चला जो दृश्य मैं सपने में कई बार देखा चुका था श्राद्ध के बाद वैसा ही नजारा था.वैसे ही हम चारों भाईयों का सिर मुंडा हुआ था...और वैसे ही लोगों की भीड़ भी हमारे आसपास मौजूद थी.

यही नहीं इसके अलावा भी ऐसे कई सपने हैं,जिसे मैंने गहरी नींद की अवस्था में देखा और फिर वो सच भी साबित हो गए. तो क्या इसका यही आशय है कि इस जीवन में सब कुछ पूर्वनिर्धारित है. जो होना है, वो कब का हो चुका है. अगर ऐसा नहीं है तो सपने में देखी गई वो बातें सच कैसे साबित हो गईं?

कहीं ऐसा तो नहीं कि हमारे इस जीवन के समांतर भी हमारा ही कोई जीवन चल रहा है?ठीक उस निगेटिव फिल्म की तरह जिसमें तस्वीरें अस्पष्ट होती हैं, लेकिन जैसे ही उसका पॉजिटिव प्रारुप सामने आता है तस्वीरें भी साफ हो जाती हैं.

क्या ज्योतिष विद्या उसी निगेटिव फिल्म को पढने की कला है जिसके जरिए उस फिल्म में निहित तस्वीरों की व्याख्या भर कर दी जाती है और उसे ही हम भविष्य कहते हैं.अगर हां तो फिर ये ज्योतिषी कैसे ये दावा करते हैं कि सिर्फ कुछ पत्थरों के पहन लेने से या फिर किसी मंत्र विशेष के जाप से हमारा भविष्य बदल जाएगा...क्या सचमुच ऐसा हो सकता है. आखिर क्या है हमारे जीवन का रहस्य?...क्या जीवन में वाकई सब कुछ पूर्व निर्धारित है?
 अगर नहीं तो फिर हम कैसे सपने में कई बार भविष्य में होने वाली घटनाओं को पहले ही देख लेते हैं.

- विकास मिश्रा

4 comments: